डॉ भीमराव राम जी अम्बेडकर इनको आज प्रत्येक व्यक्ति भारत के सविंधान निर्माता के रूप में जानता हैं। लेकिन बहुत ही कम ऐसे लोग हैं जो इनके बचपन के सघंर्षों के बारे में जानते हों। इनको आज बाबा साहेब के नाम से ज्यादा जाना जाता है क्योंकि अगर इस दुनिया में बाबा साहेब ने जन्म न लिया होता तो आज देश तो आजाद हो जाता लेकिन देश कुछ दलित जाति के लाखों करोंडो़ं लोग आज भी गुलामी कि चपेट मे होते।आज इनकी लिखि किताब पर रिर्जव बैंक ऑफ इण्डिया स्थापना हुई, लेकिन सायद आप नहीं जानते होगें कि इन सफलताओं को पाने के लिए इनको कितने बुरे वक्त और इन्सानो से लड़ना पड़ा, इन्होने अपना बचपन एक ऐसे समाज में व्यतित किया जहाॅं पर ये सरकारी कुएं से पानी तक नहीं पीसकते थे।
आज हम आपको डॉ़ भीमराव राम जी अम्बेडकर के बारे में कुछ ऐसी बाते बताएगें जो आपने सायद पहले कभी नहीं सुनी होगीं।
अम्बेडकर के राजनीतिक विचार
अम्बेडकर के सामाजिक विचार
बाबा साहेब अम्बेडकर मूल जाति
भीमराव अम्बेडकर को किसनेे पढ़ाया था?
डॉ़ बाबा साहेब अम्बेड़कर का मूल नाम भीमराव अम्बेडकर था इनके पिताश्री रामजी वल्द मालोजी सकपाल महु में ही मेजर सुबेदार के पद पर एक सैनिक अधिकारी थे।अपनी सेवा के अतिंम वर्ष उन्होने और उनकी पत्नी भीमाबाई ने काली पलटन स्थित जन्मस्थली सम्मारक की जगह पर एक बैरेंक में गुजारे। यहीं पर 14 अप्रैल 1891 में बाबा साहेब का जन्म हुआ और इनके जन्म के 5 वर्ष बाद में ही इनकी माताश्री भीमाबाई का देहातं हो गया और यहीं से इनके जीवन में सघंर्षो की कहानियां प्रारम्भ हो गई।
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डॉ भीमराव अम्बेडकर का बचपन :-
इन्होने अपने जीवन काल में सफलताएं तो बहुत हासिल की, लेकिन इनका बचपन एक ऐसे समाज में गुजरा जो सायद एक बच्चे के लिए मौत से भी ज्यादा दहला देने वाला था। इनके जन्म के 5 वर्ष बाद ही इनकी माता का देहातं हो गया। लेकिन इनको बचपन से ही पढ़ाई का बहुत सौक था और अन्य बच्चों कि तरह ये भी स्कुल जाना चाहते थे लेकिन स्कुल वालों ने यह कहकर स्कुल से निकाल दिया कि निची जाते के बच्चे को हम admission नहीं देगें हमारे स्कुल में केवल उच्च जाति के बच्चे ही पढ़ सकते हैं। इनके पिताश्री सैना में एक सुबेदार के पद पर थे इसलिए राजा से विन्नति करके इनको admission तो मिल गया लेकिन इनको class के अदंर बैढकर पढ़ने कि permission नहीं मिली, जिसके कारण इनको class room से बाहर बैठकर पढ़ना पड़ता था।
छुआ छुत और जात पात के भैदभाव के कारण इनको सरकारी कुएं से पानी पिने तक का अधिकार नहीं था इनके साथ इतना भेदभाव होता था कि अगर इनकी परछाई भी किसी खाने पिने के समान पर पड़ जाति तो उसे अपवित्र मानते थे और ऐसा सिर्फ इनके साथ ही नहीं होता था बल्कि निची जाति के प्रत्येक इन्सान के साथ ऐसा होता था। अगर इनके बचपन के सघंर्षों के बारे में लिखा जाए तो सायद किताब भी कम पड़ जाए।
शिक्षा:-
- डॉ भीमराव राम जी अम्बेडकर कि प्रारम्भिक शिक्षण दापोली और सतारा में हुआ। बबंई के एलिफिन्स्टोन स्कुल से इन्होने 1907 में मैट्रिक पास की परिक्षा पास की। इस अवसर पर एक अभिनन्दन समारोह आयोजित किया गया और उसमें भेंट स्वरूप उनके शिक्षक श्री कृष्णाजी अर्जुन कैलुस्कर ने स्वालिखित पुस्तक " बुद्ध चरित्र " उन्हे प्रदान कि। उसके बाद बड़ौदा के राज कि सहायता से इन्होने सन् 1912 में मुम्बई विश्रवविधालय से स्नातक परीक्षा पास कि। और Scholarship पाने के बाद इन्होने शिक्षा जगत में महारत हासिल करने के लिए कोलबिंया विश्रवविधालय चले गए।
Columbia University of New york:-
B.A करने के बाद M.A करने के लिए scholarship के आधार पर अब इन्होने Columbia university of new york में admission लिया और अपनी आगे कि पढ़ाई जारि रखी।और सन् 1915 में इन्होने स्नातकोतर कि परिक्षा पास की और इसी समय इन्होने 'प्राचिन भारत का वाणिज्य' लिखा था। उसके बाद 1916 में अमेरिका में columbia university से पीएच.डी कि उपाधि प्राप्त की, उनके पीएच.डी शौध का विषय था ब्रिटिश भारत में प्रातिय वित का विकेन्द्रीकरण।
लदंन स्कुल ऑफ इकोनॉमिक्स एण्ड पोलिटिकल साइन्स:-
पीएच.डी समाप्त होने पर उन्हे भारत लौटना था अतःवे ब्रिटेन होते हुए लोट रहे थे और उन्होने लदंन स्कुल ऑफ इकोनॉमिक्स एण्ड पोलिटिकल साइन्स में M.sc और D.sc और विधि स्सथांन में वार-एट -लॉ कि उपाधि के लिए पजींकृत किया और भारत लौट आए। उसके बाद छात्रवृति कि शर्त के अनुसार बडौदा नरेश के यहाँ सैनिक अधिकारी तथा वितिय सलाहकार का पद स्विकार किया। लेकिन निच्ची जाति और छुआ छुत के भैदभाव के कारण यहाँ पर किसी ने भी इन्हे किराए पर रहने के लिए कमरा नहीं दिया,
जिसके चलते उन्हे मुम्बई वापस आना पड़ा। और वहां परेन में डबल चाल और श्रमिक कोलॉनि में रहकर अपनी पढ़ाई पुरी करने के लिए पार्ट टाइम अध्यापाक और वकालत का काम करने लगे। सन् 1919 में राजनितिक सुधार हेतु डॉ भीमराव अम्बेडकर दलित प्रतिनिधित्व के पक्ष में साक्ष्य दी।
अशिक्षित और निर्धन लोगों को जागरूक बनाने के लिए काम:-
उन्होने अशिक्षित और निर्धन लोगों को जागरूक करने के लिए कुछ साप्ताहीक पत्र- पत्रिकाएं छपवाई और उसके पाद अपनी अधुरी पढ़ाई पुरी करने के लिए जर्मनी जाकर वहॉं से एम.एससी, डी.एससी और बैरिस्टर कि उपाधि प्राप्त की।
डी.लिट् कि मानक उपाधियों से सम्मानित:-
बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर को Columbia University नें एल.एलडी और उस्मानिया विश्रवविधालय नें डी.लिट् की मानक उपाधियों से सम्मानित किया था जिसके कारण बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर युवांओं के लिए प्रेरणा बन गए क्योंकि उनके नाम के साथ B.A, M.A , M.sc, Ph.d , D.sc, डी.लिट् , बैरिस्टर आदि कुल मिलाकर 26 डिग्रीयां उन्होने प्राप्त की।
योगदान:-
भारत रत्न से सम्मानित डॉ. भीमराव राम अम्बेडकर ने अपने जीवन के 65 वर्ष देश को समानताएं, आर्थिक शोषण, धार्मिक, सास्कृंतिक, शिक्षण में अनगिनत कार्य करके राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। साथ ही साथ दलितों को समाज में एक सम्मान जनक स्थान दिलाने के लिए उन्होने काफि प्रयाश किए और उनमें सफल भी हुए।
सामाजिक एवं धार्मिक योगदान:-
मानवाधिकार जैसे दलितों एवं दलित आदिवाशियों के मदिंर प्रवेश, स्कुल प्रवेश, पानी पिने, छुआ छुत, उचं-नीच, जाति पात जैसी कुरितियों को मिटाने के लिए इन्होने मनुस्मृति को जलाना( 1927), महाड़ सत्याग्रह( 1928), नासिक सत्याग्रह(1930), येवला की गर्जना(1935) जैसे आदोंलन चलाए।
बैजुबान, शौषित और अशिक्षित लोगों को जगाने के लिए वर्ष 1927 से 1956 के दौरान मुक नायक, बहिष्कृत भारत, समता, जनता और प्रबुध्द भारत नामक पांच साप्ताहिक एवं पाक्षिक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया।
कमजोर वर्ग के छात्र-छात्राओं को रात्रि स्कुलों,रात्रा वासों में तथा शैक्षिक गतिविधियों के माध्यम से अपने दलित वर्ग शिक्षा स्थानं(1924) के जरिए अध्ययन करने और आय अर्जित करने के लिए उनको सक्षम बनाया। और भी ऐसे समाज सुधार के कार्यों में उन्होने अपना योगदान दिया, भारतिय सस्कृंति वाले बौध्द धर्म कि 14 अक्टुबर 1956 में 5 लाख लोगों के साथ नागपुर में बौध्द धर्म कि दिक्षा ली और सबके अदंर एकता कि भावना समावेश करने के प्रयाश किए।
सविंधान तथा राष्ट्र निर्माण :-
डॉं. भीमराव अम्बेडकर ने समता, समानता, बधुंता एवं मानवता आधारित सविंधान को 2 वर्ष 11 महिने और 17 दिनों के कठिन परिश्रम से भारतिय सविंधान का निर्माण किया। जिसमें राष्ट्रीय एकता, अखण्डता और व्यक्ति की गरिमा की जीवन पद्धति से भारतिय सस्कृंति को अभिभूत किया।
इनके बारे में जितना लिखा जाए उतना कम होगा क्योंकि अपने जीवन में सघंर्षो के साथ देश को आजादी से लेकर समाज निर्माण में इनके जैसा योगदान अद्वितिय है। उचं-निच और छुआ-छुत जैसी कुप्रथाओं को समाप्त कर दलितों और दलित आदिवाशियों को समाज में सम्मान जनक स्थान दिलाया। जिसके कारण आज दलित और दलित आदिवाशि समाज के लोग बाबासाहेब को भगवान के रूप में पूजते हैं। और इनके इसी योगदान के कारण आज डॉ. भीमराव अम्बेडकर दलितों के मसिहा कहे जाते हैं।
आशा करता हुॅं आपको यह article पसंद आया होगा, इस article में हमने बाबासाहेब डॉ.भीमराव राम जी अम्बेडकर कि biography और समाज में उनके योगदान के बारे में बाते की। अगर आपको हमारि यह पोस्ट अच्छि लगे तो Social media पर ज्यादा से ज्यादा share करें, comment करें और अगर आपको कोई प्रशन पुच्छने हैं तो बेजिझक होकर पुच्छ सकते हैं। और उम्मीद करता हुॅं कि ये पोस्ट आपके लिए उपयोगी और knowledge full होगी।
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