ताजमहल के 19 रोचक तथ्य- जिन्हें आप नहीं जानते

 ताजमहल किसने बनवाया था

उतर- शाह जहाँ ने 

ताजमहल कहां पर है

उतर- आगरा, उतर प्रदेश में 

ेेताजमहल
ताजमहल

अमेरिका के पुर्व राष्ट्रपति बिल क्लिन्डडन  जब पहली बार भारत आये थे तब उन्होने ताज को देखकर कहा था आज मुझे अहसास हुआ कि इस दुनिया में दो ही तरह के लोग रहते हैं एक वो जिन्होने ताज देखा है और दुसरे वो जिन्होने ताज नहीं देखा हैं। होगीं इस दुनिया में एक से बढ़कर एक ईमारतें पर ताज जैसी कोई नहीं, क्योंकि इसकी बुनियाद में एक बादशाह ने अपना दिल रखा हैं। ताज महल दुनिया के सात अजुबों मेसे एक अजुबा है जो लाखों करोडों लोगों के दिलो में अपना स्थान बनाए हुए हैं ताज महल दुनिया का एकमात्र इतना बड़ा और खुबसुरत मकबरा है जिसे एक प्रेमी नें अपनी प्रेमिका कि याद में बनाया हैं। ताज महल के दुनिया भर में फैमस होने का कारण इसके पिच्छे कि प्रेम कहानी को माना जाता हैं।क्योंकि शाह जहाँ दुनिया के पहले ऐसे शासक रहे हैं जिन्होने अपनी बैगम मुमताज कि याद में इतना सुदंर मकबरा बनवाया था।

आज बादशाह नहीं रह, उनकी हुकुमत नहीं रही  और उसकी प्राजा को भी खत्म हुए सदियों बित गए बस एक ताज है जिसने उनकी प्रेम कहानी को आज भी अपने में सझोंए हुए हैं।

क्या ताजमहल  एक शिव मंदिर हैं? 

कुछ समय पहले ही हाईकोर्ट मे एक याचिका दर्ज कि गयी थी जिसमें यह दावा किया गया कि ताजमहल एक शिव मंदिर है न कि मक़बरा जिसके बाद देश में यह मामलाा गरमा नेे जिसके बाद हाईकोर्ट नेे ईसका जवाब दिया तथा साफ कहा ताजमहल एक मकबरा है और जिस स्थान पर यह बना हुआ है उस स्थान पर भी कोई शिव मंदिर नहीं था। 


ताज महले के बारे में कुछ ऐसी बाते जानेगें जिनके बारे में सायद ही आपने कभी सुना होगा।

1• हजारों tourist जो ताज महल देखने आते हैं वो यह नहीं जानते, कि जो वो सामने देख रहे हैं वह ताज महल का पिछला दरवाजा हैं। दरअसल जो शाही दरवाजा है वह नदी के तरफ  हैं। आज हम ताज को वैसा नहीं देख पाते हैं जैसा कि शाहजहाॅं चाहते थे। मुगल काल में ताज तक पहुंचने का नदी ही मुख्य रास्ता था और शाही मेहमान ताज तक नदी के रास्ते से ही आते थे। नदी के किनारे एक चबुतरा हुआ करता था बादशाह और उनके मेहमान उसी चबुतरे से ताज आया करते थे।

● यह कहा जाता रहा है कि शाहजहाॅं ने ताज महल को बनाने वाले कारिगरों के हाथ कटवा दिए थे लेकिन यह महज एक अफवाह जैसी लगती है क्योंकि इतिहास में इसके कोई प्रमाण मौजुद नहीं हैं। बहुत से इतिहासकारों का मानना है कि कारिगरों को जीवन भर कि सैलरी देकर यह करारनामा लिखवाया था कि वे ऐसी और किसी भी ईमारत को नहीं बनाएगें।

● ताज महल कि जो चारों मिनारे हैं ये बिल्कुल सिधि नहीं खड़ी है बल्कि बाहर कि ओर कुछ झुकी हुए हैं और इन्हे ऐसा ही बनवाया गया था ताकि भुकम्प जैसी आपदा आने पर यदि ये गिरें भी तो बाहर कि ओर गिरें, जिससे मुख्य मकबरे को कोई नुकसान न हों।

कुतुम्ब मिनार भारत कि सबसे ऊचीं ईमारत है लेकिन सायद आपको जानकर हैरानी हो कि कुतुब मिनार कि ऊचांई 72.5m है जबकि ताज महल कि ऊचांई 73m हैं।

● दुनिया में जितनी भी खुब सुरत ईमारतें हैं उनमें से सबसे सुदंर कैली ग्राफि ताज पर हुई हैं। जैसे ही आप ताज के बड़े दरवाजे से अदंर जाते हों तो उस पर लिखा यह सुलेख आपका स्वागत करता हैं-

हे आत्मा ! तू ईश्रवर के पास विश्राम कर।ईश्रवर के पास शातिं के साथ रह और उसकी परम शातिं तुज पर बरसे।

यह कैली ग्राफि thulut लिपी में हैं। और इसे डिजाईन करने वाले का नाम अब्दुल हक था जिसे ईरान से बुलाया गया था। शाहजहाॅं ने इसकी कैली ग्राफी से खुश होकर इसे  अमानत खॉंं नाम दिया उपादी के तौर पर।

क्या है भानगढ़ के किले का रहस्य?

● जिस वक्त शाहजहाॅं बादशाह बने वो मुगल सलतनत का सबसे सुन्हरा दौर था या युं कहें शाह जहाँ का जमाना मुगल हुकुमत की पसंद जैसा था चारो तरफ अमन और खुशहालि थी प्रजा के लिए बादशाह का हुकुम ही सबकुछ होता था। शाह जहाँ के जमाने में लड़ाईयां नहीं हुआ करती थी।वो जबरदस्त सानो शौकत और एैसो आराम का दौर था बादशाह को बड़ी बड़ी ईमारतें बनवाने का शौक था। 

● ऐसी भव्य ईमारत दुनिया ने पहले कभी नहीं देखी थी जिसके लिए तराशा गया सगंमरमर राजस्थान के मकराणा से लाया गया था Jade और Crystal china से लाया गया, Lapis lazully अफगानिस्थान से, Turqoise तिब्बत से, Jaspur punjab से और Carnelian अरब से आया था कुल मिलाकर ऐसे ही 28 किम्मति रत्नो को सफेद सगंमरमर में जड़ा गया गया था इन सब को विदेश से आगरा लाने के लिए एक हजार से भी ज्यादा हाथियों को इस्तमाल किया गया था

● ताज आज से करिबन 400 साल पहले सन् 1631 में बनना शुरू हुआ था और यह 22 साल बाद सन् 1653 में पुरा हुआ। इसका निर्माण 20 हज़ार कारिगरों और मजदुरों ने मिलकर किया था वास्तुकला का इससे सुदंर नमुना दुनिया में और कोई नहीं हैं। क्योंकि इसके लिए प्रत्येक चीज को हिरे कि तरह तलास कर लाया गया था और प्रत्येक चीज कि तलास के लिए अलग अलग देशों से कारिगरों को बुलाया गया था।ताज पर जो कैली ग्राफी की गई है उसे इटली से शिखा गया था।और इस इस कैली ग्राफी के लिए ईरान से कारिगरों को बुलाया गया था।

● सन् 1857 की क्रातिं के दौरान अग्रेंजों ने ताज को काफी नुकसान पहुंचाया था और उस पर जड़े बैस किम्मति रत्नो को निकालकर अपने साथ ले गए थे जिनमें से सबसे ज्यादा lapis lazully को निकाला गया जिससे ताज के कुछ हिस्सों में कैली ग्राफी भी खराब हुई हैं।

● जिस समय ताज को बनवाया गया था उस समय ईसकी किम्मत करोडो़ में आकिं गई थी उसी हिसाब से अगर आज के समय ताज जैसी ईमारत बनवाई जाए तो इसकी किम्मत करीबन 57 अरब से भी ज्यादा होगी। 

आज के समय ताज जैसी ईमारत बनवाना महज एक सपना ही हो सकता है वो भी ऐसा सपना जो कभी सच न हो सके।

● कहा जाता है कि शाह जहाँ की बैगम मुमताज कि मृत्यु उसके 14 वी सतानं को जन्म देते वक्त हो गई थी जिसका शाह जहाँ को बहुत बड़ा आघात लगा था मुमताज कि मृत्यु के बाद ही शाह जहाँ ने अपनी बैगम की याद में ताज  को बनाने का फरमान जारी कर दिया था। 

● पुरे दावे के साथ तो नहीं कहा जा सकता है कि ताज महल को किसने डिजाईन किया था लेकिन कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ताज को कुल 37 लोगों कि एक team ने डिजाईन किया था जिन्हे अलग अलग देशों से बुलाया गया था।

● यह कहा जाता रहा है कि शाह जहाँ ताज महल के बाद अपने लिए एक काला ताज बनवाने वाले थे लेकिन यह बात महज एक अपवाह जैसी लगती है क्योंकि जिस स्थान पर काला ताज बनवाने की बात कही जाती है उस जगह कि कई बार खुदाई जा चुकी है लेकिन इसके कोई प्रमाण मौजुद नहीं हैं। कुछ लोगों को कहना है कि यह केवल बाद में बनाई गइ मन घड़त कहानियां हैं।

● शाह जहाँ का पुरा ध्यान ताज को एक खुब सुरत रूप देने में लगा रहा इसी बीच औरगं जैब  ने उन्हे कैद कर लिया, और शाह जहाँ से जब ये पुछा गया कि आपको कहां पर रखा जाए तब शाह जहाँ ने कहा था कि उन्हे किसी ऐसी जगह पर रखा जाए जहाँ से वे ताज को देख पाएं और उनकी यह ख्वाइस पुरी भी कि गई।और वहीं पर उनकी मृत्यु हुई बाद में उन्हे ताज के मुख्य मकबरे में दफनाया गया। एक थके हारे बादशाह को भी अगर किसी ने गिरने नहीं दिया तो वह उनका बैपनाह प्यार ही था।

● ताज महल का डिजाईन हूमायूॅं का मकबरा  से प्रेरित दिखता हैं। हुमायूॅं शाह जहाँ के परदादा थे जिनके लिए अकबर नें यह मकबरा बनवाया था जिसे आज हुमायूॅं का मकबरा कहा जाता हैं। कुछ इतिहास कारों का कहना है कि हुमायूॅं जब चौसा का युद्ध  हारकर जान बचाकर भाग रहे थे तब यहाँ पर उन्होने एक रात बिताई थी जिस पर बाद में मकबरा बनाया गया।

● ताज महल के नक्से कदम पर दुनियां में और भी ऐसी ईमारतें बनवाई गई थी चीन में भी ताज की तरह एक ईमारत बनवाई गइ। अपने यहाँ पर भी ताज के जैसा एक और मकबरा  बिबि का मकबरा बनवाया गया था लेकिन इसका सिर्फ मुख्य गुम्बद ही सफेद सगंमरमर का है बाकि हिस्सा पलास्टर से बनवाया गया हैं।

● ताज महल कि नींव के लिए इसके नीचे बहुत सारे कुएं खोदे गए जिन्हे आबनूस कि लकड़ी भरी गई, इन लकड़ीओं कि खास बात होती है कि जब तक इन्हे नमी मिलती रहती है तब तक ये बहुत मजबूत होती हैं। और इन्हे नमी यमुना नदी से मिलता हैं। जिसका पानी प्रति दिन कम होता जा रहा है यही कारण है कि सन् 2010 में ताज में दरारें देखी गयी थी।

● ताज महल के मुख्य गुम्बद पर जो पितल का कलश है किसी जमाने में वह सोने का हुआ करता था लेकिन 19 वीं शताब्दी के शुरूआत में इसे सोने से बदलकर कांसे का रख दिया गया।

जिस लगन, उम्मीद और विश्वाश के साथ शाह जहाँ नें अपने प्यार को बयां करने के लिए ताज बनवाया था उसकी मिशाल आज ताज के रूप में पुरी दुनिया के सामने हैं।शाह जहाँ जानते थे कि ये शासन ये दौलत और ये एैशों आराम एक दिन समाप्त हो जाएगें इसलिए कुछ ऐसा करना चाहिए जो हमेशा एक कहानी के रूप में लोगों कि जबां पर रहें।

आज बादशाह नहीं रह, उनकी हुकुमत नहीं रही  और उसकी प्राजा को भी खत्म हुए सदियों बित गए बस एक ताज है जिसने उनकी प्रेम कहानी को आज भी अपने में सझोंए हुए हैं।

1• हजारों tourist जो ताज महल देखने आते हैं वो यह नहीं जानते, कि जो वो सामने देख रहे हैं वह ताज महल का पिछला दरवाजा हैं। दरअसल जो शाही दरवाजा है वह नदी के तरफ  हैं। आज हम ताज को वैसा नहीं देख पाते हैं जैसा कि शाहजहाॅं चाहते थे। मुगल काल में ताज तक पहुंचने का नदी ही मुख्य रास्ता था और शाही मेहमान ताज तक नदी के रास्ते से ही आते थे। नदी के किनारे एक चबुतरा हुआ करता था बादशाह और उनके मेहमान उसी चबुतरे से ताज आया करते थे।

● यह कहा जाता रहा है कि शाहजहाॅं ने ताज महल को बनाने वाले कारिगरों के हाथ कटवा दिए थे लेकिन यह महज एक अफवाह जैसी लगती है क्योंकि इतिहास में इसके कोई प्रमाण मौजुद नहीं हैं। बहुत से इतिहासकारों का मानना है कि कारिगरों को जीवन भर कि सैलरी देकर यह करारनामा लिखवाया था कि वे ऐसी और किसी भी ईमारत को नहीं बनाएगें।

● ताज महल कि जो चारों मिनारे हैं ये बिल्कुल सिधि नहीं खड़ी है बल्कि बाहर कि ओर कुछ झुकी हुए हैं और इन्हे ऐसा ही बनवाया गया था ताकि भुकम्प जैसी आपदा आने पर यदि ये गिरें भी तो बाहर कि ओर गिरें, जिससे मुख्य मकबरे को कोई नुकसान न हों।

● कुतुम्ब मिनार भारत कि सबसे ऊचीं ईमारत है लेकिन सायद आपको जानकर हैरानी हो कि कुतुब मिनार कि ऊचांई 72.5m है जबकि ताज महल कि ऊचांई 73m हैं।

● दुनिया में जितनी भी खुब सुरत ईमारतें हैं उनमें से सबसे सुदंर कैली ग्राफि ताज पर हुई हैं। जैसे ही आप ताज के बड़े दरवाजे से अदंर जाते हों तो उस पर लिखा यह सुलेख आपका स्वागत करता हैं-

हे आत्मा ! तू ईश्रवर के पास विश्राम कर।ईश्रवर के पास शातिं के साथ रह और उसकी परम शातिं तुज पर बरसे।

यह कैली ग्राफि thulut लिपी में हैं। और इसे डिजाईन करने वाले का नाम अब्दुल हक था जिसे ईरान से बुलाया गया था। शाहजहाॅं ने इसकी कैली ग्राफी से खुश होकर इसे  अमानत खॉंं नाम दिया उपादी के तौर पर।

क्या है भानगढ़ के किले का रहस्य?

● जिस वक्त शाहजहाॅं बादशाह बने वो मुगल सलतनत का सबसे सुन्हरा दौर था या युं कहें शाह जहाँ का जमाना मुगल हुकुमत की पसंद जैसा था चारो तरफ अमन और खुशहालि थी प्रजा के लिए बादशाह का हुकुम ही सबकुछ होता था। शाह जहाँ के जमाने में लड़ाईयां नहीं हुआ करती थी।वो जबरदस्त सानो शौकत और एैसो आराम का दौर था बादशाह को बड़ी बड़ी ईमारतें बनवाने का शौक था। 

● ऐसी भव्य ईमारत दुनिया ने पहले कभी नहीं देखी थी जिसके लिए तराशा गया सगंमरमर राजस्थान के मकराणा से लाया गया था Jade और Crystal china से लाया गया, Lapis lazully अफगानिस्थान से, Turqoise तिब्बत से, Jaspur punjab से और Carnelian अरब से आया था कुल मिलाकर ऐसे ही 28 किम्मति रत्नो को सफेद सगंमरमर में जड़ा गया गया था इन सब को विदेश से आगरा लाने के लिए एक हजार से भी ज्यादा हाथियों को इस्तमाल किया गया था

● ताज आज से करिबन 400 साल पहले सन् 1631 में बनना शुरू हुआ था और यह 22 साल बाद सन् 1653 में पुरा हुआ। इसका निर्माण 20 हज़ार कारिगरों और मजदुरों ने मिलकर किया था वास्तुकला का इससे सुदंर नमुना दुनिया में और कोई नहीं हैं। क्योंकि इसके लिए प्रत्येक चीज को हिरे कि तरह तलास कर लाया गया था और प्रत्येक चीज कि तलास के लिए अलग अलग देशों से कारिगरों को बुलाया गया था।ताज पर जो कैली ग्राफी की गई है उसे इटली से शिखा गया था।और इस इस कैली ग्राफी के लिए ईरान से कारिगरों को बुलाया गया था।

● सन् 1857 की क्रातिं के दौरान अग्रेंजों ने ताज को काफी नुकसान पहुंचाया था और उस पर जड़े बैस किम्मति रत्नो को निकालकर अपने साथ ले गए थे जिनमें से सबसे ज्यादा lapis lazully को निकाला गया जिससे ताज के कुछ हिस्सों में कैली ग्राफी भी खराब हुई हैं।

● जिस समय ताज को बनवाया गया था उस समय ईसकी किम्मत करोडो़ में आकिं गई थी उसी हिसाब से अगर आज के समय ताज जैसी ईमारत बनवाई जाए तो इसकी किम्मत करीबन 57 अरब से भी ज्यादा होगी। 

आज के समय ताज जैसी ईमारत बनवाना महज एक सपना ही हो सकता है वो भी ऐसा सपना जो कभी सच न हो सके।

● कहा जाता है कि शाह जहाँ की बैगम मुमताज कि मृत्यु उसके 14 वी सतानं को जन्म देते वक्त हो गई थी जिसका शाह जहाँ को बहुत बड़ा आघात लगा था मुमताज कि मृत्यु के बाद ही शाह जहाँ ने अपनी बैगम की याद में ताज  को बनाने का फरमान जारी कर दिया था। 

● पुरे दावे के साथ तो नहीं कहा जा सकता है कि ताज महल को किसने डिजाईन किया था लेकिन कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ताज को कुल 37 लोगों कि एक team ने डिजाईन किया था जिन्हे अलग अलग देशों से बुलाया गया था।

● यह कहा जाता रहा है कि शाह जहाँ ताज महल के बाद अपने लिए एक काला ताज बनवाने वाले थे लेकिन यह बात महज एक अपवाह जैसी लगती है क्योंकि जिस स्थान पर काला ताज बनवाने की बात कही जाती है उस जगह कि कई बार खुदाई जा चुकी है लेकिन इसके कोई प्रमाण मौजुद नहीं हैं। कुछ लोगों को कहना है कि यह केवल बाद में बनाई गइ मन घड़त कहानियां हैं।

● शाह जहाँ का पुरा ध्यान ताज को एक खुब सुरत रूप देने में लगा रहा इसी बीच औरगं जैब  ने उन्हे कैद कर लिया, और शाह जहाँ से जब ये पुछा गया कि आपको कहां पर रखा जाए तब शाह जहाँ ने कहा था कि उन्हे किसी ऐसी जगह पर रखा जाए जहाँ से वे ताज को देख पाएं और उनकी यह ख्वाइस पुरी भी कि गई।और वहीं पर उनकी मृत्यु हुई बाद में उन्हे ताज के मुख्य मकबरे में दफनाया गया। एक थके हारे बादशाह को भी अगर किसी ने गिरने नहीं दिया तो वह उनका बैपनाह प्यार ही था।

● ताज महल का डिजाईन हूमायूॅं का मकबरा  से प्रेरित दिखता हैं। हुमायूॅं शाह जहाँ के परदादा थे जिनके लिए अकबर नें यह मकबरा बनवाया था जिसे आज हुमायूॅं का मकबरा कहा जाता हैं। कुछ इतिहास कारों का कहना है कि हुमायूॅं जब चौसा का युद्ध  हारकर जान बचाकर भाग रहे थे तब यहाँ पर उन्होने एक रात बिताई थी जिस पर बाद में मकबरा बनाया गया।

● ताज महल के नक्से कदम पर दुनियां में और भी ऐसी ईमारतें बनवाई गई थी चीन में भी ताज की तरह एक ईमारत बनवाई गइ। अपने यहाँ पर भी ताज के जैसा एक और मकबरा  बिबि का मकबरा बनवाया गया था लेकिन इसका सिर्फ मुख्य गुम्बद ही सफेद सगंमरमर का है बाकि हिस्सा पलास्टर से बनवाया गया हैं।

● ताज महल कि नींव के लिए इसके नीचे बहुत सारे कुएं खोदे गए जिन्हे आबनूस कि लकड़ी भरी गई, इन लकड़ीओं कि खास बात होती है कि जब तक इन्हे नमी मिलती रहती है तब तक ये बहुत मजबूत होती हैं। और इन्हे नमी यमुना नदी से मिलता हैं। जिसका पानी प्रति दिन कम होता जा रहा है यही कारण है कि सन् 2010 में ताज में दरारें देखी गयी थी।

● ताज महल के मुख्य गुम्बद पर जो पितल का कलश है किसी जमाने में वह सोने का हुआ करता था लेकिन 19 वीं शताब्दी के शुरूआत में इसे सोने से बदलकर कांसे का रख दिया गया।

जिस लगन, उम्मीद और विश्वाश के साथ शाह जहाँ नें अपने प्यार को बयां करने के लिए ताज बनवाया था उसकी मिशाल आज ताज के रूप में पुरी दुनिया के सामने हैं।शाह जहाँ जानते थे कि ये शासन ये दौलत और ये एैशों आराम एक दिन समाप्त हो जाएगें इसलिए कुछ ऐसा करना चाहिए जो हमेशा एक कहानी के रूप में लोगों कि जबां पर रहें।

आज बादशाह नहीं रह, उनकी हुकुमत नहीं रही  और उसकी प्राजा को भी खत्म हुए सदियों बित गए बस एक ताज है जिसने उनकी प्रेम कहानी को आज भी अपने में सझोंए हुए हैं।

आशा करता हुॅं आपको मेरा यह article पसंद आया होगा।अगर ताज महल के बारें या किसी और तरह का कोई सवाल आपके मन में हो तो आप मुझसे निचे दिए गए Contact form से contact कर सकते हैं। अगर आपको हमारि यह पोस्ट अच्छि लगे तो Social media पर ज्यादा से ज्यादा share करें, comment करें  और अगर आपको कोई प्रशन पुच्छने हैं तो बेजिझक होकर पुच्छ सकते हैं। और उम्मीद करता हुॅं कि ये पोस्ट आपके लिए उपयोगी और knowledge full होगी। 

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