ख्वाजा साहब की दरगाह
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ख्वाजा मोइनुध्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है इसके निर्माण कि शुरुआत इल्तुमीश ने करवाई थी लेकिन निर्माण का कार्य हुमायू ने पुर्ण करवाया। अकबर ने इस मस्जिद में बुलंद दरवाजा और महफिल खाने का निर्माण करवाया था।
शाहजहाँ ने इस मस्जिद के रोजे के ऊपर सफेद संगमरमर की गुम्बद एवं जामा मस्जिद का निर्माण करवाया। यहाँ प्रति वर्ष पवित्र रमजान माह की एक से छः तारीख तक उर्स चलता है।
अजमेर के पर्यटक स्थलों में शुमार ख्वाजा साहब कि दरगाह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होने के साथ साथ सापंर्दायक सदभावना का भी मुख्य केंद्र है जहाँ पर हिन्दू मुस्लिम तथा सभी धर्मों के लोग जाते हैं तथा सभी धर्मों कि आस्था का प्रमुख केंद्र हैं दुनिया में बहुत कम धार्मिक स्थल होते हैं जहाँ पर सभी धर्मों के लोग अपनी आस्था रखकर जाते हैं अगर आप भी कभी अजमेर आएं तो एक बार यहाँ पर जरूर जाए आपको अपने पन का अहसास करवाएगा यह स्थान।
अजमेर में बनी मोइनुद्दीन चिश्ती की मजार भारत में न केवल मुसलमानों के लिए बल्कि हर धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता हैं। मोईन-उद-दीन चिश्ती के अंतिम विश्राम स्थल के रूप में यह मकबरा इस्लाम के नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यो को जनता के बीच फैलाने में अहम योगदान दे चुका हैं। यहा आने वाले तीर्थ यात्रियों में एक अजीब तरह की आकर्षित सुगंध की लहर पूरे समय तक दौड़ती रहती हैं। जो पर्यटकों को आध्यात्मिकता के प्रति एक सहज और अपरिवर्तनीय आग्रह के साथ प्रेरित करती है। दरगाह शरीफ निस्संदेह राजस्थान का सबसे लोकप्रिय तीर्थस्थल है। यह एक महान सूफी संत ख्वाजा मोइन-उद-दीन चिश्ती का विश्राम स्थल है, जोकि एक महान सूफी संत थे, उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों और दलितों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया था। क्योंकि यह स्थान सभी धर्मों के लोगों द्वारा बहुत पवित्र स्थान के रूप में जाना जाता हैं।