सूचना का अधिकार अधिनियम 2005

Indian Constitutionआमजन को सभी उपयोगी सूचनाओं तक पहुँचा सुनिश्चित करने तथा उन्हें आसानी से उपलब्ध करवाने के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को 12 अक्टूबर 2005 मे सम्पूर्ण देश( जम्मू कश्मीर को छोड़कर ) लागु कर दिया गया।
इस अधिनियम में त्वरित, सर्वत्र सुलभ एवं नाममात्र के शुल्क पर वांछित सूचनाएँ प्रदान कराने की व्यवस्था की गयी है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा कानून बना है जो कि लोक अधिकारियों की अकुशलता पर सिधी जवाबदेही तय करता हैं। भारत सरकार के स्तर पर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को इस अधिनियम के क्रियान्वयन हेतु नोडल विभाग के रूप में मान्यता दी गयी है।

राजस्थान राज्य सूचना आयोग 
राजस्थान में सूचना का अधिकार प्राप्त करने के लिए आंदोलन की शुरुआत ब्यावर ( अजमेर ) के चाँद गेट पर 6 अप्रैल 1995 को मजदूर किसान शक्ति संघ कि प्रणेता अरूणा राय द्वारा की गयी। देश में सर्वप्रथम राजस्थान मे सूचना का अधिकार कानून 2000 मे लागू किया गया जिसे बाद में नया कानून लागू होने पर रद्द कर दिया गया था।
राजस्थान राज्य सूचना आयोग का गठन 13 अप्रैल 2006 को किया गया जिसमें राज्य के पहले मुख्य सूचना आयुक्त  श्री एम डी कोरानी को बनाया गया।जिसका कार्यालय जयपुर में है।
राज्य सूचना आयोग में एक राज्य मुख्य सूचना आयुक्त एवं अधिकतम 10 सूचना आयुक्त होते है जिनकी नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती हैं।
कार्यकाल:- 5 वर्ष या 65 वर्ष जो भी पहले हो।
शपथ ग्रहण:- राज्यपाल द्वारा।
त्याग पत्र:- राज्यपाल को 
पद से हटाना:- कलाकार या असमर्थता के आधार पर राज्यपाल द्वारा।

अधिनियम के उद्देश्य
● प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेहीता एवं संवेदनशीलता लाना।
● प्रत्येक लोक प्राधिकरण को जवाबदेही बनाते हुए उतरदायित्वपूर्ण सुशासन सुनिश्चित करना।
● भ्रष्टाचार का अंत करना एवं लोक प्राधिकारीयो को नागरिकों के प्रति जवाबदेही बनाना।
● त्वरित, सर्वत्र सुलभ एव नाममात्र के व्यय पर सूचना उपलब्ध करवाना।

प्रतिबंधित सूचनाएँ
इस कानून के तहत वे सूचनाएँ प्रदान हीं की जाएंगी जो-
● देश की प्रभुता व अखण्डता,
● राज्य की सुरक्षा
● विभागीय लम्बित जांच 
● व्यक्तिगत सुरक्षा 
● सांसद/

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