Abdul kalam biography in hindi |
ए.पी.जे अब्दुल कलाम जिन्हें आज हम भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिशाईल मैन के नाम से जानते हैं। space science कि दुनिया में भारत को इतने बड़े मुकाम पर पहुंचाने में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा हैं।आज india को सफल परमाणु बम से लेकर पहली बार में मगंल ग्रह तक पहुंचानें में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा हैं।ए.पी.जे अब्दुल कलाम गरिबी और बदहाली कि भट्टी में तपकर एक ऐसा सोना बनें जिसकी चमक पुरी दुनिया तक पहुंची। इनके जीवन की कहानी बहुत छोटी है परतुं सदिंयों तक students को प्रेरणा देने वाली हैं। ' उड़ान ' बस यह एक शब्द था जो इनको गरिबी से ISRO का scientist बनने तक का सफर तय करवाता हैं। बचपन सघंर्षो में रहा, लेकिन कामयाबी चाहिए थी इसलिए वक्त और हालातों से जीवन के हर मौड़ पर जीत के लिए लड़ाईयां लड़ी हैं इन्होनें। आज कलाम साहब हमारे बीच नहीं रहें, लेकिन उनके प्रेरणा दायक विचार एक विध्यार्थी के जीवन में सफलता के रास्तों को हमेशा रोशन करते रहेगें।
इनकी सफलताओं के बारें में आज पुरा देश जानता है इनके बारे में सायद ही कोई ऐसी बातें होगीं जिन्हे लोग नहीं जानते हैं।चलिए आज उनके विचारों और जीवन के प्रत्येक पहलू से आपको रूबरू करवाते हैं।
प्रारभिंक जीवन
इनका पुरा नाम डॉ अबुल पाकीर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था इनके पिता का नाम जैनुलाअबदीन तथा माता का नाम आशियम्मा था। a.p.j abdul kalam का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम जिले के धनुष कोडी कस्बे में 15 अक्टुबर 1931 को हुआ। इनके पिता एक नाविक थे और अपनी नाव किराए पर देकर ये घर का खर्च चलाते थे लेकिन एक दिन चक्रवात में वह नाव भी टुट गई, जिसके कारण इनके घर कि आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गयी।जिसके चलते कलाम को पढ़ाई के साथ- साथ अखबार भी बैचने पड़ते थे।कलाम की प्रारभिंक पढा़ई रामेश्वरम में ही हुई।
कलाम को पढ़ाई का बहुत शौक था और वो आगे पढ़ना चाहते थे लेकिन इनके घर कि आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि चाहते हुए भी वे आगे नहीं पढ़ा सकते थे।लेकिन फिर भी कलाम की पढ़ाई के प्रति लगन देखकर उनके पिता ने उन्हे आगे कि पढ़ाई के लिए पास के ही कस्बे रामनाथपुरम् के खार्टज हाई स्कुल में पढ़ने भेज दिया।
यहाँ पर ए.पी.जे अब्दुल कलाम की प्रेरणा बनें अया हुरै सोलोमन, इन्होने कलाम को जीवन में सफलता के लिए तीन सूत्र दिए- इच्छा शक्ति, आस्था और उम्मीद यही कलाम के जीवन का आधार बनीं।
अब यहाँ पर इनको एक दोस्त मिल गया जो कि हिन्दु धर्म से था दोनों के बीच अछी खासी मित्रता थी और दोनो दोस्त class में सबसे आगे बैठा करते थे, लेकिन एक दिन जब गणित के नए अध्यापक आए तो उन्होने कलाम को मुस्लिम होने के कारण सबसे पिछे बैठा दिया।अगले दिन कलाम के मित्र ने यह बात अपने पिताजी से कही तो उनके पिता गणित के अध्यापक से काफि नाराज भी हुए लेकिन फिर दोनो दोस्त एक साथ बैठकर पढ़ने लगे और final exam में कलाम ने गणित विषय में 100 marks हासिल किए और पुरे स्कुल का नाम रोशन किया।
Charlie chaplin biography in hindi
कलाम का भारतीय वायु सैना में भर्ति होने का सपना
ए.पी.जे अब्दुल कलाम 12th class के बाद भारतीय वायु सैना में भर्ती होना चाहते थे और इसके लिए उन्होने दिन रात कड़ी मेहनत की।और वायु सैना में भर्ति के लिए exam दिया लेकिन कलाम को इसमें सफलता नहीं मिल पाइ और एक air force में भर्ति होने का सपना उनका सच नहीं हो पाया। दरअसल air force में 8 लोगों का selection होना था जबकि कलाम का उसमें नबंर 9 वॉं आया, कलाम बहुत दुखि हुए लेकिन उन्होने हार नहीं मानि और science कि दुनिया में आगे बढ़ने लगे।
Dr. bhimrav ambedkar biography in hindi
M.I.T ( Madrash institute of technology )
उसके बाद कलाम नें एयरोनोटिकल इनजीनियरीगं करने के लिए M.I.T में admission लिया और अपनी आगे कि पढ़ाई यहाँ पर करने लगे। लेकिन इस बीच उनको बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। क्योंकि scholarship से इन्होने यहाँ पर admission तो ले लिया लेकिना बाद में इनकी पढ़ाई पुरि करवाने के लिए इनकी बहन ने अपने गहने बैच दिए ताकि कलाम कि पढ़ाई पुरी हो सके। इसके बाद कलाम को एक एयर क्राफ्ट का मॉडल डिजाईन करना था जो कि कलाम को एक प्रोजेक्ट की तरह पुरा करना था और कलाम ने उसे कुछ दिनों में पुरा कर दिया लेकिन जब कलाम नें professor को यह मॉड़ल दिखाया तो उन्हे पसंद नहीं आया और उन्होने दुसरा मॉडल डिजाईन करने के लिए कहा।अब कलाम के पास केवल तीन दिन थे जिनमें उन्हे यह प्रोजेक्ट पुरा करना था क्योंकि अगर यह प्रोजेक्ट कलाम पुरा नहीं कर पाए तो उन्हे scholarship नहीं मिल पाएगी और वे आगे कि पढ़ाई नहीं कर पाएगें। लेकिन कलाम ने इसे पुरा किया और scholarship भी हासिल की।
ISRO ( Indian space research organization)
M.I.T complete करने के बाद ए.पी.जे अब्दुल कलाम को सन् 1958 में रक्षा अनुसंधान व विज्ञान सगंठन में हावर क्राफ्ट परियोजना पर काम करने हेतु वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में चुना गया।
अब यहाँ पर कलाम अपने प्रोजेक्ट पर सच्ची लगन से काम करने लगे। तथा आने वाले 4 वर्षों तक कलाम नें यहाँ पर काम किया। और सन् 1962 में प्रो.एम.जी मेनन कलाम की लगन व मेहनत से प्रभावित होकर इन्हे ISRO में ले गए जहाँ पर कलाम के जीवन के स्वर्णिम अध्याय का सुनहरा आगाज हुआ।
उसके बाद कलाम नें NASA से रॉकेट प्रक्षेपण की नकनीकी का प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा भारत का पहला रॉकेट नाइके अपाचे छोड़ा।
इस परियोजना में सफलता के बाद इन्हे SLV परियोजना का प्रबधंक बनाया गया और इसके कुछ समय बाद SLV-3 नें सफल उड़ान भरी जिसनें रोहिणी नामक उपग्रह को space में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।
ए.पी.जे अब्दुल कलाम नें सन् 1983 में मिसाइल कार्यक्रम पर काम करते समय पांच मिसाइलों यथा पृथ्वी, अग्नि, त्रिशूल, नाग तथा आकाश नामक मिसाइलों का सफल प्रक्षेपण किया, इसलिए आज इन्हे मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता हैं।
क्या सच में शाह जहाँ ने ताज महल बनाने वालों के हाथ कटवा दिए थे?
सफल परमाणु परिक्षण
A.p.j abdul kalam के नेतृत्व में भारत को परमाणु ताकत मिली। लेकिन कलाम के लिए यह कोई आसान काम नहीं था क्योंकि इसमें इनके सामने अनेक परेशानियां भी आयी। सरकार नें इस परियोजना के लिए कोई फण्ड नहीं दिया लेकिन इन्द्रा गांधि इनके लिए सिक्रेट फण्ड दिया। लेकिन परेशानियां इतनी भर नहीं थी यह प्रयोग NASA के satellite से बचाकर करना था। और इसमें कलाम के नेतृत्व में 11 और 13 मई 1998 को पोकरण में सफल परिक्षण किया तथा भारत को परमाणु ताकत से आगाज करवाया।
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भारत रत्न से सम्मानित
ए.पी.जे अब्दुल कलाम सन् 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के पद के लिए चुने गए। तथा इन्हे पदम् भूषण, पदम् विभूषण और भारत रत्न सम्मानित किया गया।इन्होने अपने जीवन भर की पुजीं देश को समर्पित कर दी। इनका पुरा जीवन विध्यार्थीयों और देश सेवा में ही गुजर गया।
27 जूलाई 2015 को IIM शिलॉंग में भाषण देते हुए इनकी हृदय गति रूक जाने से इनका निधन हो गया। लेकिन इनकी सफलता की उड़ान आज भी इनकी मिसाइलों के रूप में कायम हैं।
ए.पी.जे अब्दुल कलाम के अनमोल विचार
ए.पी.जे अब्दुल कलाम जिन्हें आज हम भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिशाईल मैन के नाम से जानते हैं। space science कि दुनिया में भारत को इतने बड़े मुकाम पर पहुंचाने में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा हैं।आज india को सफल परमाणु बम से लेकर पहली बार में मगंल ग्रह तक पहुंचानें में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा हैं।ए.पी.जे अब्दुल कलाम गरिबी और बदहाली कि भट्टी में तपकर एक ऐसा सोना बनें जिसकी चमक पुरी दुनिया तक पहुंची। इनके जीवन की कहानी बहुत छोटी है परतुं सदिंयों तक students को प्रेरणा देने वाली हैं। ' उड़ान ' बस यह एक शब्द था जो इनको गरिबी से ISRO का scientist बनने तक का सफर तय करवाता हैं। बचपन सघंर्षो में रहा, लेकिन कामयाबी चाहिए थी इसलिए वक्त और हालातों से जीवन के हर मौड़ पर जीत के लिए लड़ाईयां लड़ी हैं इन्होनें। आज कलाम साहब हमारे बीच नहीं रहें, लेकिन उनके प्रेरणा दायक विचार एक विध्यार्थी के जीवन में सफलता के रास्तों को हमेशा रोशन करते रहेगें।
इनकी सफलताओं के बारें में आज पुरा देश जानता है इनके बारे में सायद ही कोई ऐसी बातें होगीं जिन्हे लोग नहीं जानते हैं।चलिए आज उनके विचारों और जीवन के प्रत्येक पहलू से आपको रूबरू करवाते हैं।
प्रारभिंक जीवन
इनका पुरा नाम डॉ अबुल पाकीर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था इनके पिता का नाम जैनुलाअबदीन तथा माता का नाम आशियम्मा था। a.p.j abdul kalam का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम जिले के धनुष कोडी कस्बे में 15 अक्टुबर 1931 को हुआ। इनके पिता एक नाविक थे और अपनी नाव किराए पर देकर ये घर का खर्च चलाते थे लेकिन एक दिन चक्रवात में वह नाव भी टुट गई, जिसके कारण इनके घर कि आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गयी।जिसके चलते कलाम को पढ़ाई के साथ- साथ अखबार भी बैचने पड़ते थे।कलाम की प्रारभिंक पढा़ई रामेश्वरम में ही हुई।
कलाम को पढ़ाई का बहुत शौक था और वो आगे पढ़ना चाहते थे लेकिन इनके घर कि आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि चाहते हुए भी वे आगे नहीं पढ़ा सकते थे।लेकिन फिर भी कलाम की पढ़ाई के प्रति लगन देखकर उनके पिता ने उन्हे आगे कि पढ़ाई के लिए पास के ही कस्बे रामनाथपुरम् के खार्टज हाई स्कुल में पढ़ने भेज दिया।
यहाँ पर ए.पी.जे अब्दुल कलाम की प्रेरणा बनें अया हुरै सोलोमन, इन्होने कलाम को जीवन में सफलता के लिए तीन सूत्र दिए- इच्छा शक्ति, आस्था और उम्मीद यही कलाम के जीवन का आधार बनीं।
अब यहाँ पर इनको एक दोस्त मिल गया जो कि हिन्दु धर्म से था दोनों के बीच अछी खासी मित्रता थी और दोनो दोस्त class में सबसे आगे बैठा करते थे, लेकिन एक दिन जब गणित के नए अध्यापक आए तो उन्होने कलाम को मुस्लिम होने के कारण सबसे पिछे बैठा दिया।अगले दिन कलाम के मित्र ने यह बात अपने पिताजी से कही तो उनके पिता गणित के अध्यापक से काफि नाराज भी हुए लेकिन फिर दोनो दोस्त एक साथ बैठकर पढ़ने लगे और final exam में कलाम ने गणित विषय में 100 marks हासिल किए और पुरे स्कुल का नाम रोशन किया।
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कलाम का भारतीय वायु सैना में भर्ति होने का सपना
ए.पी.जे अब्दुल कलाम 12th class के बाद भारतीय वायु सैना में भर्ती होना चाहते थे और इसके लिए उन्होने दिन रात कड़ी मेहनत की।और वायु सैना में भर्ति के लिए exam दिया लेकिन कलाम को इसमें सफलता नहीं मिल पाइ और एक air force में भर्ति होने का सपना उनका सच नहीं हो पाया। दरअसल air force में 8 लोगों का selection होना था जबकि कलाम का उसमें नबंर 9 वॉं आया, कलाम बहुत दुखि हुए लेकिन उन्होने हार नहीं मानि और science कि दुनिया में आगे बढ़ने लगे।
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M.I.T ( Madrash institute of technology )
उसके बाद कलाम नें एयरोनोटिकल इनजीनियरीगं करने के लिए M.I.T में admission लिया और अपनी आगे कि पढ़ाई यहाँ पर करने लगे। लेकिन इस बीच उनको बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। क्योंकि scholarship से इन्होने यहाँ पर admission तो ले लिया लेकिना बाद में इनकी पढ़ाई पुरि करवाने के लिए इनकी बहन ने अपने गहने बैच दिए ताकि कलाम कि पढ़ाई पुरी हो सके। इसके बाद कलाम को एक एयर क्राफ्ट का मॉडल डिजाईन करना था जो कि कलाम को एक प्रोजेक्ट की तरह पुरा करना था और कलाम ने उसे कुछ दिनों में पुरा कर दिया लेकिन जब कलाम नें professor को यह मॉड़ल दिखाया तो उन्हे पसंद नहीं आया और उन्होने दुसरा मॉडल डिजाईन करने के लिए कहा।अब कलाम के पास केवल तीन दिन थे जिनमें उन्हे यह प्रोजेक्ट पुरा करना था क्योंकि अगर यह प्रोजेक्ट कलाम पुरा नहीं कर पाए तो उन्हे scholarship नहीं मिल पाएगी और वे आगे कि पढ़ाई नहीं कर पाएगें। लेकिन कलाम ने इसे पुरा किया और scholarship भी हासिल की।
ISRO ( Indian space research organization)
M.I.T complete करने के बाद ए.पी.जे अब्दुल कलाम को सन् 1958 में रक्षा अनुसंधान व विज्ञान सगंठन में हावर क्राफ्ट परियोजना पर काम करने हेतु वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में चुना गया।
अब यहाँ पर कलाम अपने प्रोजेक्ट पर सच्ची लगन से काम करने लगे। तथा आने वाले 4 वर्षों तक कलाम नें यहाँ पर काम किया। और सन् 1962 में प्रो.एम.जी मेनन कलाम की लगन व मेहनत से प्रभावित होकर इन्हे ISRO में ले गए जहाँ पर कलाम के जीवन के स्वर्णिम अध्याय का सुनहरा आगाज हुआ।
उसके बाद कलाम नें NASA से रॉकेट प्रक्षेपण की नकनीकी का प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा भारत का पहला रॉकेट नाइके अपाचे छोड़ा।
इस परियोजना में सफलता के बाद इन्हे SLV परियोजना का प्रबधंक बनाया गया और इसके कुछ समय बाद SLV-3 नें सफल उड़ान भरी जिसनें रोहिणी नामक उपग्रह को space में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।
ए.पी.जे अब्दुल कलाम नें सन् 1983 में मिसाइल कार्यक्रम पर काम करते समय पांच मिसाइलों यथा पृथ्वी, अग्नि, त्रिशूल, नाग तथा आकाश नामक मिसाइलों का सफल प्रक्षेपण किया, इसलिए आज इन्हे मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता हैं।
क्या सच में शाह जहाँ ने ताज महल बनाने वालों के हाथ कटवा दिए थे?
सफल परमाणु परिक्षण
A.p.j abdul kalam के नेतृत्व में भारत को परमाणु ताकत मिली। लेकिन कलाम के लिए यह कोई आसान काम नहीं था क्योंकि इसमें इनके सामने अनेक परेशानियां भी आयी। सरकार नें इस परियोजना के लिए कोई फण्ड नहीं दिया लेकिन इन्द्रा गांधि इनके लिए सिक्रेट फण्ड दिया। लेकिन परेशानियां इतनी भर नहीं थी यह प्रयोग NASA के satellite से बचाकर करना था। और इसमें कलाम के नेतृत्व में 11 और 13 मई 1998 को पोकरण में सफल परिक्षण किया तथा भारत को परमाणु ताकत से आगाज करवाया।
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भारत रत्न से सम्मानित
ए.पी.जे अब्दुल कलाम सन् 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के पद के लिए चुने गए। तथा इन्हे पदम् भूषण, पदम् विभूषण और भारत रत्न सम्मानित किया गया।इन्होने अपने जीवन भर की पुजीं देश को समर्पित कर दी। इनका पुरा जीवन विध्यार्थीयों और देश सेवा में ही गुजर गया।
27 जूलाई 2015 को IIM शिलॉंग में भाषण देते हुए इनकी हृदय गति रूक जाने से इनका निधन हो गया। लेकिन इनकी सफलता की उड़ान आज भी इनकी मिसाइलों के रूप में कायम हैं।
ए.पी.जे अब्दुल कलाम के अनमोल विचार
ए.पी.जे अब्दुल कलाम जिन्हें आज हम भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिशाईल मैन के नाम से जानते हैं। space science कि दुनिया में भारत को इतने बड़े मुकाम पर पहुंचाने में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा हैं।आज india को सफल परमाणु बम से लेकर पहली बार में मगंल ग्रह तक पहुंचानें में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा हैं।ए.पी.जे अब्दुल कलाम गरिबी और बदहाली कि भट्टी में तपकर एक ऐसा सोना बनें जिसकी चमक पुरी दुनिया तक पहुंची। इनके जीवन की कहानी बहुत छोटी है परतुं सदिंयों तक students को प्रेरणा देने वाली हैं। ' उड़ान ' बस यह एक शब्द था जो इनको गरिबी से ISRO का scientist बनने तक का सफर तय करवाता हैं। बचपन सघंर्षो में रहा, लेकिन कामयाबी चाहिए थी इसलिए वक्त और हालातों से जीवन के हर मौड़ पर जीत के लिए लड़ाईयां लड़ी हैं इन्होनें। आज कलाम साहब हमारे बीच नहीं रहें, लेकिन उनके प्रेरणा दायक विचार एक विध्यार्थी के जीवन में सफलता के रास्तों को हमेशा रोशन करते रहेगें।
इनकी सफलताओं के बारें में आज पुरा देश जानता है इनके बारे में सायद ही कोई ऐसी बातें होगीं जिन्हे लोग नहीं जानते हैं।चलिए आज उनके विचारों और जीवन के प्रत्येक पहलू से आपको रूबरू करवाते हैं।
प्रारभिंक जीवन
इनका पुरा नाम डॉ अबुल पाकीर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था इनके पिता का नाम जैनुलाअबदीन तथा माता का नाम आशियम्मा था। a.p.j abdul kalam का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम जिले के धनुष कोडी कस्बे में 15 अक्टुबर 1931 को हुआ। इनके पिता एक नाविक थे और अपनी नाव किराए पर देकर ये घर का खर्च चलाते थे लेकिन एक दिन चक्रवात में वह नाव भी टुट गई, जिसके कारण इनके घर कि आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गयी।जिसके चलते कलाम को पढ़ाई के साथ- साथ अखबार भी बैचने पड़ते थे।कलाम की प्रारभिंक पढा़ई रामेश्वरम में ही हुई।
कलाम को पढ़ाई का बहुत शौक था और वो आगे पढ़ना चाहते थे लेकिन इनके घर कि आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि चाहते हुए भी वे आगे नहीं पढ़ा सकते थे।लेकिन फिर भी कलाम की पढ़ाई के प्रति लगन देखकर उनके पिता ने उन्हे आगे कि पढ़ाई के लिए पास के ही कस्बे रामनाथपुरम् के खार्टज हाई स्कुल में पढ़ने भेज दिया।
यहाँ पर ए.पी.जे अब्दुल कलाम की प्रेरणा बनें अया हुरै सोलोमन, इन्होने कलाम को जीवन में सफलता के लिए तीन सूत्र दिए- इच्छा शक्ति, आस्था और उम्मीद यही कलाम के जीवन का आधार बनीं।
अब यहाँ पर इनको एक दोस्त मिल गया जो कि हिन्दु धर्म से था दोनों के बीच अछी खासी मित्रता थी और दोनो दोस्त class में सबसे आगे बैठा करते थे, लेकिन एक दिन जब गणित के नए अध्यापक आए तो उन्होने कलाम को मुस्लिम होने के कारण सबसे पिछे बैठा दिया।अगले दिन कलाम के मित्र ने यह बात अपने पिताजी से कही तो उनके पिता गणित के अध्यापक से काफि नाराज भी हुए लेकिन फिर दोनो दोस्त एक साथ बैठकर पढ़ने लगे और final exam में कलाम ने गणित विषय में 100 marks हासिल किए और पुरे स्कुल का नाम रोशन किया।
Charlie chaplin biography in hindi
कलाम का भारतीय वायु सैना में भर्ति होने का सपना
ए.पी.जे अब्दुल कलाम 12th class के बाद भारतीय वायु सैना में भर्ती होना चाहते थे और इसके लिए उन्होने दिन रात कड़ी मेहनत की।और वायु सैना में भर्ति के लिए exam दिया लेकिन कलाम को इसमें सफलता नहीं मिल पाइ और एक air force में भर्ति होने का सपना उनका सच नहीं हो पाया। दरअसल air force में 8 लोगों का selection होना था जबकि कलाम का उसमें नबंर 9 वॉं आया, कलाम बहुत दुखि हुए लेकिन उन्होने हार नहीं मानि और science कि दुनिया में आगे बढ़ने लगे।
Dr. bhimrav ambedkar biography in hindi
M.I.T ( Madrash institute of technology )
उसके बाद कलाम नें एयरोनोटिकल इनजीनियरीगं करने के लिए M.I.T में admission लिया और अपनी आगे कि पढ़ाई यहाँ पर करने लगे। लेकिन इस बीच उनको बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। क्योंकि scholarship से इन्होने यहाँ पर admission तो ले लिया लेकिना बाद में इनकी पढ़ाई पुरि करवाने के लिए इनकी बहन ने अपने गहने बैच दिए ताकि कलाम कि पढ़ाई पुरी हो सके। इसके बाद कलाम को एक एयर क्राफ्ट का मॉडल डिजाईन करना था जो कि कलाम को एक प्रोजेक्ट की तरह पुरा करना था और कलाम ने उसे कुछ दिनों में पुरा कर दिया लेकिन जब कलाम नें professor को यह मॉड़ल दिखाया तो उन्हे पसंद नहीं आया और उन्होने दुसरा मॉडल डिजाईन करने के लिए कहा।अब कलाम के पास केवल तीन दिन थे जिनमें उन्हे यह प्रोजेक्ट पुरा करना था क्योंकि अगर यह प्रोजेक्ट कलाम पुरा नहीं कर पाए तो उन्हे scholarship नहीं मिल पाएगी और वे आगे कि पढ़ाई नहीं कर पाएगें। लेकिन कलाम ने इसे पुरा किया और scholarship भी हासिल की।
ISRO ( Indian space research organization)
M.I.T complete करने के बाद ए.पी.जे अब्दुल कलाम को सन् 1958 में रक्षा अनुसंधान व विज्ञान सगंठन में हावर क्राफ्ट परियोजना पर काम करने हेतु वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में चुना गया।
अब यहाँ पर कलाम अपने प्रोजेक्ट पर सच्ची लगन से काम करने लगे। तथा आने वाले 4 वर्षों तक कलाम नें यहाँ पर काम किया। और सन् 1962 में प्रो.एम.जी मेनन कलाम की लगन व मेहनत से प्रभावित होकर इन्हे ISRO में ले गए जहाँ पर कलाम के जीवन के स्वर्णिम अध्याय का सुनहरा आगाज हुआ।
उसके बाद कलाम नें NASA से रॉकेट प्रक्षेपण की नकनीकी का प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा भारत का पहला रॉकेट नाइके अपाचे छोड़ा।
इस परियोजना में सफलता के बाद इन्हे SLV परियोजना का प्रबधंक बनाया गया और इसके कुछ समय बाद SLV-3 नें सफल उड़ान भरी जिसनें रोहिणी नामक उपग्रह को space में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।
ए.पी.जे अब्दुल कलाम नें सन् 1983 में मिसाइल कार्यक्रम पर काम करते समय पांच मिसाइलों यथा पृथ्वी, अग्नि, त्रिशूल, नाग तथा आकाश नामक मिसाइलों का सफल प्रक्षेपण किया, इसलिए आज इन्हे मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता हैं।
क्या सच में शाह जहाँ ने ताज महल बनाने वालों के हाथ कटवा दिए थे?
सफल परमाणु परिक्षण
A.p.j abdul kalam के नेतृत्व में भारत को परमाणु ताकत मिली। लेकिन कलाम के लिए यह कोई आसान काम नहीं था क्योंकि इसमें इनके सामने अनेक परेशानियां भी आयी। सरकार नें इस परियोजना के लिए कोई फण्ड नहीं दिया लेकिन इन्द्रा गांधि इनके लिए सिक्रेट फण्ड दिया। लेकिन परेशानियां इतनी भर नहीं थी यह प्रयोग NASA के satellite से बचाकर करना था। और इसमें कलाम के नेतृत्व में 11 और 13 मई 1998 को पोकरण में सफल परिक्षण किया तथा भारत को परमाणु ताकत से आगाज करवाया।
Jio customer care me online job kaise karen
भारत रत्न से सम्मानित
ए.पी.जे अब्दुल कलाम सन् 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के पद के लिए चुने गए। तथा इन्हे पदम् भूषण, पदम् विभूषण और भारत रत्न सम्मानित किया गया।इन्होने अपने जीवन भर की पुजीं देश को समर्पित कर दी। इनका पुरा जीवन विध्यार्थीयों और देश सेवा में ही गुजर गया।
27 जूलाई 2015 को IIM शिलॉंग में भाषण देते हुए इनकी हृदय गति रूक जाने से इनका निधन हो गया। लेकिन इनकी सफलता की उड़ान आज भी इनकी मिसाइलों के रूप में कायम हैं।
ए.पी.जे अब्दुल कलाम के अनमोल विचार
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