अजमेर के टॉप 14 पर्यटन स्थल की जानकारी – Top 14 Places To Visit In Ajmer In Hindi

ajmer me ghumne ki jagah, अजमेर में क्या प्रसिद्ध है?, पुष्कर में घूमने की जगह Tourist places in Ajmer 

अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ अजमेर शहर राजस्थान के खूबसूरत पर्यटक स्थलों में से एक हैं। आपको बता दे अजमेर दक्षिण-पश्चिम से 130 किमी और पुष्कर शहर से सिर्फ 14 किमी दूर स्थित है। अजमेर शहर का नाम “अजय मेरु” है, जिसका मोटे तौर पर “अजेय पहाड़ी” के रूप में अनुवाद किया जा सकता है। अपनी धार्मिक परंपराओं और संस्कृतिक महत्व को मजबूती से निभाता हुआ अजमेर शहर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ हैं। अजमेर हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के लिए एक तीर्थस्थल होने के अलावा, एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल भी है जो सदियों से चली आ रही लोकाचार और शिल्प कौशल कला में पारंगत हैं। अजमेर में मनाए जाने वाले “उर्स त्यौहार” के दौरान संत मोइनुद्दीन चिश्ती की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य के अवसर पर दुनिया भर से पर्यटक आते हैं।

अजमेर के टॉप 14 पर्यटन स्थल की जानकारी – Top 14 Places To Visit In Ajmer In Hindi

1 ख्वाजा साहब की दरगाहGo to

Credit:- wallpaper flare

ख्वाजा मोइनुध्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है इसके निर्माण कि शुरुआत इल्तुमीश ने करवाई थी लेकिन निर्माण का कार्य हुमायू ने पुर्ण करवाया। अकबर ने इस मस्जिद में बुलंद दरवाजा और महफिल खाने का निर्माण करवाया था।
शाहजहाँ ने इस मस्जिद के रोजे के ऊपर सफेद संगमरमर की गुम्बद एवं जामा मस्जिद का निर्माण करवाया। यहाँ प्रति वर्ष पवित्र रमजान माह की एक से छः तारीख तक उर्स चलता है।
अजमेर के पर्यटक स्थलों में शुमार ख्वाजा साहब कि दरगाह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होने के साथ साथ सापंर्दायक सदभावना का भी मुख्य केंद्र है जहाँ पर हिन्दू मुस्लिम तथा सभी धर्मों के लोग जाते हैं तथा सभी धर्मों कि आस्था का प्रमुख केंद्र हैं दुनिया में बहुत कम धार्मिक स्थल होते हैं जहाँ पर सभी धर्मों के लोग अपनी आस्था रखकर जाते हैं अगर आप भी कभी अजमेर आएं तो एक बार यहाँ पर जरूर जाए आपको अपने पन का अहसास करवाएगा यह स्थान।
अजमेर में बनी मोइनुद्दीन चिश्ती की मजार भारत में न केवल मुसलमानों के लिए बल्कि हर धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता हैं। मोईन-उद-दीन चिश्ती के अंतिम विश्राम स्थल के रूप में यह मकबरा इस्लाम के नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यो को जनता के बीच फैलाने में अहम योगदान दे चुका हैं। यहा आने वाले तीर्थ यात्रियों में एक अजीब तरह की आकर्षित सुगंध की लहर पूरे समय तक दौड़ती रहती हैं। जो पर्यटकों को आध्यात्मिकता के प्रति एक सहज और अपरिवर्तनीय आग्रह के साथ प्रेरित करती है। दरगाह शरीफ निस्संदेह राजस्थान का सबसे लोकप्रिय तीर्थस्थल है। यह एक महान सूफी संत ख्वाजा मोइन-उद-दीन चिश्ती का विश्राम स्थल है, जोकि एक महान सूफी संत थे, उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों और दलितों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया था। क्योंकि यह स्थान सभी धर्मों के लोगों द्वारा बहुत पवित्र स्थान के रूप में जाना जाता हैं।

2  ढाई दिन का झोपड़ा 

Credit:- Navbharat Times

तारागढ पहाड़ी की तलहटी में स्थित ढाई दिन का झोपड़ा हिन्दू मुस्लिम स्थापत्य कला का अप्रतिम उदाहरण है जिसका निर्माण चौहान शासक विग्रहराज चतुर्थ ने 1153ई में एक संस्कृत पाठशाला के रूप में बनाया था 
लेकिन जब 1192ई में तराईन के द्वितीय युद्ध में प्रथ्वीराज तृतीय की हार के बाद भारत मे मुहम्मद गौरी ने मुस्लिम साम्राज्य स्थापित किया तो मुहम्मद गौरी के सैनापति कुतुबूदीन एबक ने इसे तुड़वाकर इसके स्थान पर ढाई दिन के झोपड़े का निर्माण करवाया। उस समय यहाँ सात मेहराब बनाए गए, तीन केंद्रीय मेहराबो पर लिखावट है। यह लिखावट अरबी नागरी या सूफी लिपि में है। एक मुसलमान फकीर पंजाबशाह का उर्स यहाँ लगाने के बाद से यह ढाई दिन का झोपड़ा कहलाने लगा।
वर्तमान समय मे यह एक मस्जिद हैं जहाँ पर हजारों कि संख्या में पर्यटक घूमने के लिए आते हैं। 

3 तारागढ दुर्गGo

Credit:- About India🇮🇳

इस दुर्ग की अभेधता के बारे में बिशप हैबर ने लिखा है ' यह भव्य दुर्ग पर्वत शिखर पर स्थित है जो दो मील के दायरे में फैला है। उबड़ खाबड़ व अनियमित आकार के कारण इस दुर्ग में 1200 से अधिक सैनिक नहीं रह सकते है। लेकिन शास्त्रीय रूप में इसकी उपयोगिता है 
इसे अजयमेरू व गढबीठली आदि नामों से भी जाना जाता है।
जिस पहाड़ी पर यह बना उसकी समुद्र तल से उचाई 2855 फीट है यह दुर्ग आज भी सुदृढ़ है और पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है जहां पर हजारों कि तादाद में लोग घुमने के लिए आते हैं। इस दुर्ग का निर्माण 1113ई में हुआ और तभी से इस पर आक्रमण होते रहे है।
महमूद गजनवी ने तारागढ दुर्ग को हथियाने के लिए इसै घेरा लेकिन स्वयं घायल हो जाने के कारण घेरा उठा लेना पड़ा। तराईन के द्वितीय युद्ध के बाद मुहम्मद गौरी ने इस पर अधिकार कर लिया। पृथ्वीराज के छोटे भाई हरिराज ने इसे जीता लेकिन कुछ समय बाद ही कुतुबूदीन एबक ने इसे छिन लिया।
महाराणा कुभा के काल में राव रणमल ने इसे जीता तथा कुछ समय के लिए यह माड़ु के सुल्तान के कब्जे में भी रहा। पृथ्वीराज ने यहाँ के मुस्लिम गवर्नर को मारकर इसे फिर से जीत लिया, 1533 मे गुजरात के बहादुर शाह ने इस दुर्ग पर कब्जा कर लिया और बाद में इसे मारवाड़ के राजा मालदेव ने जीत लिया।
अजमेर के पर्यटक स्थलों में तारागढ दुर्ग बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है और हजारों कि संख्या में पर्यटक यहाँ पर घूमने के लिए आते हैं।

4 अकबर महल 



अजमेर के प्रसिद्ध स्थल अकबर का महल और संग्रहालय का निर्माण सन 1500 में उस जगह पर करबाया गया था जहां सम्राट अकबर के सैनिक अजमेर में रुके थे।  इस संग्रहालय में पुराने सैन्य हथियारों और उत्कृष्ट मूर्तियों के साथ-साथ राजपूत और मुगल शैली के जीवन और लड़ाई के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित किया जाता है। आपको बता दे महल मे काली जी की मूर्ती भी स्थापित हैं जोकि संगमरमर की बनी हुई हैं। यही एक वजह है की यह संग्रहालय इतिहास प्रमियो के साथ-साथ पर्यटकों के घूमने के लिए अजमेर के लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक बना हुआ है।

5 सोनी जी नसिया 



सोनी जी की नसियां अजमेर शहर में पृथ्वीराज मार्ग पर स्थित एक प्रसिद्ध जैन मंदिर है। जो सोनी जी की नसियां ​​के रूप में लोकप्रिय और राजस्थान में सबसे अच्छे जैन मंदिरों में से एक है। अजमेर का दर्शनीय स्थल सोनी जी की नसियां का नाम सिद्धकूट चैत्यालय है और इसे ‘लाल मंदिर’ के रूप में भी जाना जाता है, जो जैन धर्म के पहले तीर्थकर को समर्पित हैं। सोनी जी की नसियां मंदिर का मुख्य आकर्षण मुख्य कक्ष है जिसे स्वर्ण नगरी या सोने के शहर के नाम से भी जाना जाता हैं। जो जैन धर्म के संस्करण में ब्रह्माण्ड की सबसे आश्चर्यजनक वास्तुकला कृतियों में से एक है, इस मंदिर में सोने की लकड़ी की कई आकृतियां बनी हुई है जोकि जैन धर्म की कई आकृतियों को दर्शाती हैं। सोनी जी की नसियां अजमेर के लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक है जहा तीर्थयात्रियो की लम्बी कतारें देखी जा जाती है।

6 किशनगढ किला 

अजमेर से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित किशनगढ़ किला राजस्थान के प्रमुख एतिहासिक पर्यटक स्थलों में से एक है। जिसे भारत का संगमरमर शहर कहा भी जाता है, यह दुनिया का एकमात्र स्थान है जहां नौ ग्रहों का मंदिर है। अजमेर के पास स्थित किशनगढ़ किला के अंदर कई महल और स्मारक हैं। जिन्होंने राजस्थान की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

7 पुष्कर 

अजमेर से 11किमी उत्तर पश्चिम में हिन्दूओ का पावन तीर्थ पुष्कर हैं। महाभारत में भी लिखा है कि तीनों लोको में मृत्यु लोक महान है तथा मृत्यु लोक में देवताओं का सर्वाधिक प्रिय स्थान पुष्कर हैं। चारों धर्मों कि यात्रा करके भी यदि कोई पुष्कर सरोवर में नहीं जाता है तो उसके सार जाते है।
तीर्थराज पुष्कर को पृथ्वी का तीसरा नैत्र भी माना जाता है।
यह भी कहा जाता है कि सारे तिर्थ बार बार पुष्कर तीर्थ एक बार अर्थात मनुष्य समस्त तीर्थो की बारम्बार यात्रा करे, परंतु पुष्कर की एक ही बार कर ले तो उसे मोक्ष लाभ प्राप्त हो जाता है। यही कारण है कि तीर्थ यात्री चारों धर्मों कि यात्रा करने के बाद पुष्कर की यात्रा अवश्य करते हैं।
यहाँ पर प्रति वर्ष विशाल मेला भरता है जिसे देखने के लिए लाखों कि संख्या में पर्यटक घूमने के लिए आते हैं।

8 वराह-मंदिर

विष्णु के वराह अवतार का यह मंदिर चौहान शासक अर्णोराज चहान द्वारा 1123 - 1150ई के मध्य बनाया गया था। तथा इसका जीर्णोद्धार महाराणा प्रताप के भाई शक्ति सिंह ने करवाया था अजमेर के अनासागर की पाल बधंवाने और पुष्कर झील की मरम्मत का कार्य भी इन्हीं ने करवाया।
जयपुर नरेश सवाई जयसिंह द्वितीय ने इसका पुनर्निर्माण कराया, कहा जाता है कि वराह का प्राचीन मंदिर 150 फीट ऊँचा था और स्थापत्य की सर्वोत्तम कला कृतियों में से एक था।

9 सावित्रिजी का मंदिर

ब्राह्याजी के मंदिर से दक्षिण पश्चिम की ओर रत्नगिरी पर्वत पर ब्राह्याजी की पत्नी सावित्रिजी का मंदिर स्थित है। इस मंदिर में जहां सावित्रिजी के दो चरण चिन्ह प्रतिष्ठित है वहीं उनकी पुत्री सरस्वती की प्रतिमा भी है।

10 सुधाबाय

पुष्कर के पास नागपहाड़ियो की तलहटी में पंचकुड़ स्थित है जहां वन विभाग द्वारा विशाल बगीचे का निर्माण करवाया गया है। पौराणिक ग्रन्थो के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पाण्ड़व कुछ समय यहाँ रहे थे।
यह भी कहा है कि भगवान राम चौदह वर्ष वनवास के दौरान पंचकुड़ आए थे और मध्य पुष्कर के पास जिसे गया कुण्ड़ भी कहते हैं वहाँ उन्होंने अपने पिता दशरथ की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिड़ंदान भी किया था इस स्थान को सुधाबाय भी कहते हैं।

11- ब्रह्याजी तथा रमा बैकुण्ठ मंदिर 

पुष्कर झील के पूर्व की ओर जहां दक्षिण स्थापत्य शैली पर आधारित रामानुज संम्प्रदाय का विशाल रमा बैकुण्ठ मंदिर है वहीं पश्चिम की ओर काफी उचाई पर ब्रह्याजी का प्राचीन मंदिर है विश्व में ब्रह्याजी के एकमात्र मंदिर का जीर्णोद्धार प्रथम बार आदि जगतगुरू शंकराचार्य ने कराया था।

12 बणी-ठणी पेटीगं

किशनगढ का नाम राजपूत चित्रकला की एक प्रसिद्ध शैली से संबंधित है जो विश्व भर में विख्यात है यहाँ के शासक सावंतसिह की प्रेमिका बणी-ठणी के नाम से यह चिंतक प्रसिद्ध है बणी-ठणी का चित्रण सावंतसिह के चित्रकार निहालचंद ने बनाया जिसे राजस्थान की मोनालिसा के नाम से जाना जाता है।

13 आनासागर झील 

अजमेर की अनासागर झील का निर्माण पृथ्वीराज के पितामह अर्णोराज चौहान ने 1135ई में कराया था इन्हीं के नाम पर इस झील का नाम आनासागर झील पड़ा। पुष्कर के अरण्य से निकली चन्द्रा नदी पर दो पहाड़ी के बीच में पाल डालकर इस झील का निर्माण किया गया था।

14 दौलत बाग

आनासागर झील के किनारे पर ही मुगल उधार के रूप में दौलत बाग स्थित है इस बगीचे का निर्माण सम्राट जहाँगीर ने शाही बाग के रूप में किया था।

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